चंद्रपुर : चंद्रपुर सिस्टर कॉलोनी के अहराज नदीम कुरेशी अपने साथियों के साथ फातिमा मस्जिद में रमज़ान के तीसरे अशरे में एहतकाफ में बैठे हैं जिसमें तिलावते कुरान और नमाज के साथ इमाम साहब इस्लाम की जानकारी सभी को दे रहे हैं। एहतिकाफ में अपने मोहल्ले अपने शहर और पूरे मुल्क में अमन और शांति के लिए दुआएं मांगी जा रही है।रमज़ान के पूरे महीने के रोजे के साथ साथ तिलावते कुरान तराबी की नमाज और पांच वक्त की नमाज और तहज्जुद की नमाज पूरे एहतेराम के साथ अदा की जा रही है और अल्लाह ताला को राज़ी किया जा रहा है।
रमजान की फ़ज़ीलत (महत्त्व)
माह-ए-रमजान को इस्लाम (Islam) में बेहद पाक महीना माना गया है। कहा जाता है कि इसी महीने में शब-ए-कद्र में अल्लाह ने पवित्र धर्मग्रंथ कुरान को नाजिल किया था। रमजान के महीने (Month of Ramzan) को नेक कामों का महीना भी कहा जाता है, इसीलिए इसे मौसम-ए-बहार भी बुलाते हैं। इस दौरान मुसलमानों के लिए एक महीने तक रोजे रखना, रात में तरावीह की नमाज पढ़ना और कुरान (Quran) तिलावत करना जरूरी होता है। इसके अलावा जकात और फितरा का भी विशेष महत्व माना गया है। इस्लामी मान्यता है कि रमजान के महीने में किया गए एक नेक काम का भी कई गुना सवाब मिलता है। ये महीना खुद के सुधार का महीना माना गया है, जो हर मुस्लिम को संयम, प्रेम और भाईचारे की सीख देता है। जानिए रमजान के महीने को इतना पवित्र क्यों माना जाता है!
अल्लाह की रहमत का महीना
रमजान के महीने को अल्लाह की रहमतों का महीना माना गया है। इसलिए हर मुस्लिम इस माह में ज्यादा से ज्यादा समय अल्लाह की इबादत करता है, कहा जाता है कि इस माह में हर नेक काम का कई गुणा सवाब मिलता है। इस दौरान अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल देता है और बरकत की बारिश करता है। अल्लाह की रहमत पाने के लिए मुसलमान पूरे एक माह तक कठिन नियमों के साथ रोजे रखकर, नमाज पढ़कर और कुरान की तिलावत करके अल्लाह की इबादत करते हैं।
आत्ममंथन का महीना
रमजान का महीना आत्ममंथन का महीना माना गया है। ये हर मुसलमान को गुनाहों का प्रायश्चित करने का अवसर देता है। रमजान के महीने में रखा जाने वाला रोजा सिर्फ खाने पीने के ही नियमों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इस दौरान किसी को गलत निगाह से देखना, किसी का दिल दुखाना, किसी की बुराई करना भी गुनाह माना गया है। इस बीच खानपान पर नियंत्रण के साथ व्यक्ति अपनी इन आदतों पर भी नियंत्रण करता है, जिससे उसकी भावनाएं शुद्ध होती हैं। रमजान के महीने में आत्ममंथन करके खुद के अंदर झांकने का प्रयास करना चाहिए और अपनी भूल को सुधारना चाहिए। इससे अल्लाह खुश होता है और रहमत और बरकत बरसाने के साथ तमाम गुनाहों को माफ कर देता है।
एतकाफ से क्या मिलता है?
पैगंबर मुहम्मद ने फरमाया जो शख्स रमजान में 10 रोज का एतकाफ करे उसको दो हज और दो उमराह जैसा सवाब होगा। इसके अलावा एतकाफ करने वाला उन तमाम गुनाहों से रुका रहता है और उसको सवाब ऐसा मिलता है जैसे वो कोई तमाम नेकियां कर रहा हो, जब तक इंसान एतकाफ की हालत में होता है तो उसका एक-एक मिनट एक एक लम्हा इबादत में लिखा जाता है, उसका सोना उसका खाना-पीना और उसका उठना बैठना सब इबादत में शामिल होता है।
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