*चंद्रपुर शिवप्रेमीयों का सरकार के खिलाफ विरोध मोर्चा..* मुस्लिम महिलाओं की उपस्तिथि रही आकर्षण का केंद्र..*

चंद्रपुर शिवप्रेमीयों का सरकार के खिलाफ विरोध मोर्चा


चंद्रपुर: राजकोट के मालवण में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढह जाने के विरोध में चंद्रपुर में हम शिवप्रेमी चंद्रपुरकर के बैनर तले आयोजित विरोध मार्च पर चंद्रपुर वासियों ने सड़क पर उतर कर कड़ी प्रतिक्रिया दी। इसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने खुलकर भाग लिया।


चंद्रपुर शहर के छत्रपति शिवाजी महाराज चौक पर शिवशिल्प को प्रणाम करने के बाद दोपहर 12 बजे विरोध मार्च शुरू हुआ. मार्च में सबसे आगे शिव प्रेमी हाथों में विरोध बैनर लेकर मार्च का नेतृत्व कर रहे थे। इसके बाद सभी शिवप्रेमी नागरिकों के साथ-साथ जनप्रतिनिधयों, राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने इस प्रकार संगठित होकर विरोध मार्च निकाला।


विरोध मार्च में स्वत: शामिल हुए शिव प्रेमियों ने ''शिव विरोधी सरकार मुर्दाबाद, बंद करो, बंद करो'', ''छत्रपति का अपमान करने वाली सरकार मुर्दाबाद'', ''मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, निर्माण मंत्री इस्तीफा दो, इस्तीफा दो'' का नारा लगाया। "छत्रपति शिवराय का अपमान नहीं सहेंगे", "छत्रपति का अपमान नहीं सहेंगे" "शिवप्रेमी मैदान" "जय ​​जिजाऊ जय शिवराय" "जय ​​भवानी जय शिवाजी" "छत्रपति शिवाजी महाराज की जय" "शिव स्मारक अवश्य बने" ज़मीन पर किया'' ''शिवद्रोही सरकार होश में आव'' के नारों ने चंद्रपुर शहर को हिलाकर रख दिया।



यह मार्च जिलाधिकारी कार्यालय के सामने जाकर एक धरना आंदोलन में तब्दील हो गया। इस दौरान कुछ शिव प्रेमियों ने विरोध मार्च के आयोजकों की ओर से अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। इसमें मोर्चा की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए प्रो. दिलीप चौधरी ने बताया कि मार्च क्यों और किस मकसद से आयोजित किया गया और सरकार को चेतावनी दी कि अगर मार्च की मांगें तुरंत नहीं मानी गईं तो दुनिया भर के शिव प्रेमी सड़कों पर उतरेंगे। बंडू धोत्रे ने कहा महाराज के विचार रैयतों का राज्य बनाने और अठारह पगड जातियों को एकजुट करने के थे, इसलिए यह अवज्ञा आपत्तिजनक है। सुनील मुसले ने कहा, महाराज द्वारा बनवाया गया किला कभी नहीं गिरा, लेकिन सात महीने में महाराज की मूर्ति गिरने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना और महायुति नेताओं द्वारा की जा रही अनाप-शनाप बयानबाजी पर कहीं न कहीं रोक लगनी चाहिए।


संदीप गिरहे ने शिव विरोधी सरकार का विरोध करते हुए कहा कि तोड़फोड़ की राजनीति करने वाली सरकार की दोषपूर्ण योजना के कारण महापुरुषों की प्रतिमाएं भी नहीं बची हैं। बेबीताई उइके ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा निर्माण को लेकर भ्रष्ट सरकार की निंदा की। प्रो माधव गुरुनुले ने न केवल आज से, बल्कि उनके राज्याभिषेक के बाद से ही छत्रपति शिवाजी का अपमान करने का सिलसिला जारी रखने के लिए सरकार की निंदा की। बालूभाऊ खोबरागड़े ने छत्रपति का अपमान करने वाली सरकार से तत्काल इस्तीफे की मांग की। विधायक सुधाकर अदबले ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है, जैसे यह मूर्ति गिरी है, वैसे ही यहां की कमिशन खोर सरकार को भी गिरना पड़ेगा। विधायक सुभाष धोटे ने प्रतिमा गिराए जाने पर सरकार की कड़ी निंदा की और इस संबंध में जिम्मेदार जयदेव आप्टे और उनके सहयोगियों की तत्काल गिरफ्तारी और देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की। सांसद प्रतिभाताई धानोरकर ने इस देश में एक विचारधारा के प्रतिनिधि के रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज का लगातार अपमान किया है। ऐसा सवाल उठाया गया। अंतिम बैठक का संचालन विनोद थेरे ने किया और धन्यवाद ज्ञापन मोहम्मद शरीफ ने किया, जिन्होंने सामूहिक रूप से शपथ ली कि यदि किसी भी महान महापुरुष का अपमान किया गया, तो लोग सड़कों पर उतरेंगे और कड़ा विरोध करेंगे। मंच साज-सज्जा की जिम्मेदारी दिलीप रेगने ने संभाली।


शिवप्रेमी के बयान को स्वीकार करने के लिए रेजिडेंट डिप्टी कलेक्टर पवार मार्च स्थल पर आए और शिवप्रेमी के बयान को स्वीकार किया।


सभी पदयात्रियों के खड़े होकर राष्ट्रगान गाने के साथ मार्च समाप्त हुआ। इस मार्च की सफलता के लिए चंद्रपुर शहर के विभिन्न संगठनों ने कड़ी मेहनत की।


"शिव-प्रेमी बुरखेदारी मुस्लिम महिलाओं की सहज भागीदारी आकर्षक थी"
इस मार्च में उपस्थित शिवप्रेमी मुस्लिम महिलाओं की उपस्थिति से शिवराय के नाम पर समाज में दरार पैदा करने की कोशिश करने वाले असामाजिक विकृतियों के मुंह पर तमाचा जड़ है मुस्लिम समाज के लोगों की उपस्तिथि की खूब सराहना की गई।


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