◼️ छत्रपति शिवाजी महाराज के अपमान पर क्यूं ? चुप हैं जोर्गेवार..
◼️शिवप्रेमियों के मोर्चे में नहीं शामिल हुए अपक्ष आमदार..
चंद्रपुर :- छत्रपति शिवाजी महाराज के पुतले के अपमान के मामले ने चंद्रपुर में भी शिवप्रेमी नागरिकों के बीच गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। इस मुद्दे को लेकर बीते 4 सितंबर को चंद्रपुर में एक भव्य विरोध मार्च आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों नागरिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। मार्च की शुरुआत छत्रपति शिवाजी महाराज चौक से हुई, जो गगनभेदी नारों और जयघोष के बीच जिला अधिकारी कार्यालय पर जाकर समाप्त हुआ। मार्च में शामिल लोगों ने सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश प्रकट किया और छत्रपति शिवाजी महाराज के अपमान की घटना के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।
मार्च में भाग लेने वाले नागरिकों ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज शौर्य, न्याय और नैतिकता के प्रतीक हैं, और उनके या किसी भी महापुरुष के अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी मांग की कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए कठोर कदम उठाए जाएं। विरोध मार्च के दौरान, चंद्रपुर शहर का माहौल बेहद गर्म था। मार्च में शामिल लोगों ने अपने हाथों में बैनर और पोस्टर लिए हुए थे, जिन पर सरकार विरोधी और शिवराय के समर्थन में नारे लिखे हुए थे। इस मार्च ने चंद्रपुर के नागरिकों में एकजुटता और शिवराय के प्रति सम्मान की भावना को और प्रबल कर दिया है। शिवप्रेमी नागरिकों ने मांग की है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और संबंधित दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
शिवप्रेमियों के मोर्चे में नहीं शामिल हुए अपक्ष आमदार जोर्गेवार
इस विरोध मार्च में शिवप्रेमी नागरिकों का भारी समर्थन देखा गया, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रति अपनी निष्ठा का परिचय दिया। इस मोर्चे में चंद्रपुर के सांसद ,विधायक सहित कई नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे। परंतु चंद्रपुरकर के मतों से विजयी हुए स्वतंत्र विधायक किशोर जोर्गेवार नहीं दिखाई दिए, क्या ? शिवाजी के लिए विधायक जी के मन में प्रेम और निष्ठा नहीं है। लोगों ने कहा कि इसी प्रकार NRC और CAA के समय भी विधायक जोर्गेवार किसी भी मोर्चे में नज़र नहीं आए थे जबकि मुस्लिमों ने एकतरफा वोट स्वतंत्र विधायक जोर्गेवार को दिया था। जिससे मुस्लिम समुदाय नाराज़ है और अब शिवप्रेमियों में भी नाराज़गी दिखाई दे रही है।आनेवाले विधानसभा चुनाव में इसका असर दिखाई देगा।
आमदार किशोर जोरगेवार के PA ने जनहित खबरें से अपना पक्ष रखते हुए बताया कि मोर्चे वाले दिन मुंबई में एक अर्जेंट बैठक होने के कारण आमदार मोर्चे में शामिल नहीं हो सके थे।
"महाराष्ट्र की राजनीति में भी कटुता चरम पर पहुंच गई है। अब तक महाराष्ट्र की राजनीति में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एक रिश्ता दिखता था। मुद्दों पर राजनीति होती थी और शब्दों से प्रहार होते थे। महाराष्ट्र के बारे में कहा जाता था कि यहां के नेता भले ही कितने बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंदी हों लेकिन वो इसे दुश्मनी में नहीं बदलते हैं। मगर अब शायद महाराष्ट्र की हवा बदल रही है।शिवाजी की प्रतिमा ढहने के मामले में कोहराम मचा हुआ है।"
महाराष्ट्र चुनाव पर कैसे पड़ेगा मुद्दे का असर ?
दरअसल, छत्रपती शिवाजी महाराज, सिर्फ महाराष्ट्र के नही बल्की पुरी विश्व के प्रेरणा स्थान हैं। महाराष्ट्र के सभी समुदाय के लोगों के लिए पूजनीय हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि अगर यही स्थिति रही तो जिस तरह अभी यह मुद्दा बीजेपी और महायुति सरकार के लिए खतरे की घंटी है। उसी तरह आने वाले दिनों में उसके लिए गले की फांस भी बन सकता है।
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